2 Short Prerak Prasang in hindi

आज इस पोस्ट में आपको हम दो प्रेरक प्रसंग कहानियां बताएंगे। जो आपके जीवन में आपको अच्छी शिक्षा देगा।

हमें पूरा विश्वास है यह ज्ञानवर्धक प्रेरणादायक कहानियाँ आपके जीवन में एक नयी उमंग के साथ-साथ आपके सफलता के रास्ते में आने वाले सभी मुश्किलों को भी दूर करने में मदद करेंगे।यह प्रेरक प्रसंग कहानियाँ (Prerak Prasang) आपकी ज़िन्दगी बदल सकते हैं। दोस्तों जिंदगी में कुछ पाना हो, या कुछ बड़ा करना हो उन सभी के लिए प्रेरक प्रसंग बहुत की उपयोगी सिद्ध होते है।

Prerak Prasang Story 1

एक ब्राह्मण रोज़ाना मंदिर की ओर प्रस्थान करता था। उसके लिए यह एक नियमित कार्य था, जिसे वह बहुत ध्यान से निभाता था। हर रोज़ उसके पास जाने का रास्ता था, जिसमें उसे एक रुपए का सिक्का दिखाई देता था।

उसके मन में हमेशा यह विचार रहता था कि वह रुपए का सिक्का उस व्यक्ति को दे देता है, जो बहुत ही गरीब हो।वह ब्राह्मण अपने गांव के सभी कोनों को घूमता, लेकिन कुछ दिनों तक उसे वह गरीब व्यक्ति नहीं मिलता, जिसे वह ढूंढ रहा है। फिर एक दिन, वह ब्राह्मण एक राजा को देखता है, जो अपनी बड़ी प्रजा के साथ यात्रा कर रहा होता है।

जैसे ही महाराजा उसे देखते हैं, वह नमस्कार करते हैं और कहते हैं कि आप मुझे आशीर्वाद दें।महाराजा ब्राह्मण को अपनी यात्रा से जुड़े रहने की बात बताते हैं और कहते हैं कि वे दूसरे राज्यों के साथ युद्ध करने जा रहे हैं, और उनका आशीर्वाद उनके साथ रहेगा तो वे निश्चित रूप से विजयी होंगे।ब्राह्मण व्यक्ति ने समझा कि वह अब अपने दिल की बात राजा को बता सकता है।

वह अपने जीवन में पहली बार एक महान व्यक्ति के सामने खड़ा हो रहा है। इसलिए वह उस राजा को एक रुपए का सिक्का देता है।ब्राह्मण व्यक्ति राजा को कहता है, “महाराजा, मैं कई दिनों से ऐसे गरीब इंसान की तलाश में था जिसके पास कुछ नहीं है।

मुझे आप ही ऐसे गरीब व्यक्ति मिले जिनके पास सब होते हुए भी कुछ नहीं है।”राजा को यह सुनकर एक अद्भुत भावुकता महसूस होती है। उन्हें ब्राह्मण के सादे और पवित्र दिल की खोज के लिए प्रशंसा करते हुए अच्छा लगता है। वे उसे धन्यवाद देते हैं और उसके आशीर्वाद को स्वीकार करते हैं।

निष्कर्ष:–इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चे धनी वे नहीं होते जिनके पास समृद्धि है, बल्कि वे होते हैं जो दिल से दूसरों की मदद करने को तैयार होते हैं। धन के माध्यम से ही सच्चा समृद्धि नहीं मिलती है, वरन् इसे दूसरों के साथ साझा करे।

Prerak Prasang Story 2

कहीं दूर एक गांव था, जिसमें एक रामू नाम के साधू रहते थे। वे एक शांत और संतुष्ट जीवन जीने के प्रशंसक थे। साधू ने अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण पथिक राजा की कहानी से एक गुण सिखा।एक बार, राजा ने बड़ा एक दर्बार आयोजित किया और अपने राजदूतों के साथ विशाल सम्मान समारोह किया।

दर्बार में धनी और सम्पन्न लोगों के साथ-साथ गरीब, विकलांग और असहाय लोग भी आए।साधू राजा के दर्बार में जाने का निर्णय करते हैं ताकि वे उनके शानदार सम्मान समारोह का दर्शन कर सकें। जैसे ही साधू राजा के सम्मुख पहुंचे, राजा ने उन्हें आभारी भाव से देखा और उन्हें अपनी सभा में बुलाया।

साधू राजा के दर्शन करते ही भावभीनी दृष्टि से दर्बार को देखते हैं, उन्हें दुर्गंधित वस्त्रों में घिरे धनी और सम्पन्न लोगों की अधिकता दिखाई दी। वे धन, सम्मान और सुख से भरे लोगों की अनेकता को देखकर विचलित हो गए।राजा ने साधू से पूछा, “आपने विशाल सम्मान समारोह के दर्शन क्यों किए?

क्या आप इतने धनी और सम्पन्न लोगों के साथ अपने आप को नहीं देखना चाहते?”साधू ने प्रशांत भाव से कहा, “हे महाराज! जीवन की असली धनीता संतुष्टि में है। वे लोग, जो अपने जीवन से संतुष्ट हैं, ही सच्चे धनी होते हैं।

मैं आपके सम्मान समारोह की बजाय उन गरीब, विकलांग और असहाय लोगों को देखने आया था, जिन्हें समाज की दृष्टि में अक्सर अनदेखा किया जाता है। उन्हें देखकर मेरा मन संतुष्टि से भर गया है।”राजा ने साधू की यह बात सुनकर अच्छा लगा और उन्हें सम्मान किया।

इस दिन से राजा ने अपने दर्बार में गरीब, विकलांग और असहाय लोगों के प्रति अधिक संवेदनशीलता दिखाना शुरू किया और धनी और सम्पन्न लोगों के साथ साझा करने की प्रेरणा ली।

निष्कर्ष:–इस प्रेरक कहानी से सीख मिलती है की जो व्यक्ति को अधिक से अधिक पाने की लालसा होती है ! वह व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है ! उसे सब मिलने के बाद भी उसे संतोष कभी नही मिल सकता है ! जो व्यक्ति संतुष्ट है वह सबसे धनी व्यक्ति है !

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