30 बेस्ट प्रेरक प्रसंग और प्रेरणादायक कहानियाँ |

 स्वामी विवेकानंद का जन्म 12  जनवरी 1863  को कलकत्ता में हुआ था। इनके बचपन का नाम नरेंद्रनाथ  दत्त था। स्वामी विवेकानंद नाम उन्हें उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस द्वारा दिया गया था।  इन्होने समाज सेवा के एक मिशन की स्थापना की जिसका नाम इनके गुरु के नाम पर रखा गया था।  

 

स्वामी विवेकानंद द्वारा बोले गए तीन महत्वपूर्ण  अनमोल वचन  

 

1.खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हे – इसका मूल अर्थ यह हे की यदि कोई भी मनुष्य अपने जीवन में ये सोच ले की उससे कुछ नहीं हो सकता वो इस पृथ्वी पर व्यर्थ ही हे तो ये सबसे बड़ा पाप हे अगर आप उस वस्तु को पाने के लिए संघर्ष ही नहीं करेंगे तो आप को वो वस्तु कैसे प्राप्त कर सकते हे जीवन में हमे सफलता प्राप्त करने के लिए जोखिम उठाना ही पड़ता हे चाहे अब वो कोई भी कार्य क्यों ना हो कभी हार नहीं माननी चाहिये। ये मत सोचो की दूसरे आपसे बेहतर कर रहे हे आपको ये सोचना चाहिए  की म उससे भी ज्यादा बेहतर कर सकता हु। उसके लिए आपको मेहनत करनी होगी। इसलिए कभी जीवन में खुदको कमजोर नहीं समझना चाहिए।  

 

2.दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो – स्वामी विवेकानंद का कहना हे की यदि कोई वयक्ति किसी भी कार्य में अपने दिमाग की सुनता हे तो उस काम में वह सबसे बड़ी गलती करता हे जब उस वयक्ति को पता हे की ये उसके काम की वस्तु या काम नहीं हे तो क्यों वो उस कार्य को करता हे इसी स्थान पर यदि वयक्ति अपने दिल की सुने तो उसका उस कार्य में मन भी लगेगा और वह उस कार्य को और बेहतर ढंग से कर पायेगा जो वस्तु या कार्य हमारे मन या दिल को अच्छा लगता हे उसमे हमारा मन अधिक समय तक रहता हे इसलिए स्वामी विवेकानंद कहते हे की दिल और दिमाग में से हमेशा अपने दिल की सुनो ना की होने दिमाग की।  

 

3.एक समय में केवल एक ही कार्य करना चाहिए – स्वामी विवेकानंद के अनुसार यदि कोई वयक्ति एक समय में अनेक कार्य करता हे तो वह किसी भी कार्य को समय पर पूरा नहीं कर सकता ना ही वह उस कार्य को ढंग से कर सकता हे यदि हम एक समय पर एक कार्य करते हे तो हमारा जो ध्यान ह वो उसी कार्य पर रहेगा और यदि हम बहुत सरे कार्य साथ में करेंगे तो हम किसी भी कार्य पर सही से ध्यान नहीं दे पाएंगे और इससे उस कार्य के बिगड़ने की सम्भावना भी बढ़ जाती हे।

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