Best Motivational stories in Hindi | Prerak Prasang 2023

आज आपको हम Prerak Prasang 2023 के बारे में बताएंगे। जिस से आपके जीवन में एक नई उमंग और उत्साह का प्रवाह होगा। इन कहानियां से आपको जो भी सिख मिले आप उसे अपने जीवन में लागू करे।

मृत्यु अटल है | हिन्दी Prerak Prasang 2023

एक चतुर व्यक्ति को काल से बहुत डर लगता था, और वह सोचता था कि मेरी किसी भी क्षण मृत्यु हो सकती है।वह क्या करे?एक दिन उसे चतुराई सूझी और काल को ही अपना मित्र बना लिया।

उसने अपने मित्र काल से कहा- मित्र, तुम किसी को भी नहीं छोड़ते हो, किसी दिन मुझे भी गाल में धर लोगो!काल ने कहा- ये मृत्यु लोक है. जो आया है उसे मरना ही है; सृष्टि का यह शाश्वत नियम है, इसलिए मैं मजबूर हूं, पर तुम मित्र हो इसलिए मैं जितनी रियायत कर सकता हूं करूंगा ही मुझसे क्या आशा रखते हो, साफ-साफ कहो।व्यक्ति ने कहा- मित्र मैं इतना ही चाहता हूं कि आप मुझे अपने लोक ले जाने के लिए आने से कुछ दिन पहले एक पत्र अवश्य लिख देना

ताकि मैं अपने बाल-बच्चों को कारोबार की सभी बातें अच्छी तरह से समझा दूं और स्वयं भी भगवान भजन में लग जाऊं।काल ने प्रेम से कहा- यह कौन सी बड़ी बात है, मैं एक नहीं आपको चार पत्र भेज दूंगा, चिंता मत करो चारों पत्रों के बीच समय भी अच्छा खासा दूंगा ताकि तुम सचेत होकर काम निपटा लो।वह व्यक्ति बड़ा ही प्रसन्न हुआ।

सोचने लगा कि आज से मेरे मन से काल का भय भी निकल गया, मैं जाने से पूर्व अपने सभी कार्य पूर्ण करके जाऊंगा तो देवता भी मेरा स्वागत करेंगे।दिन बीतते गये आखिर मृत्यु की घड़ी आ पहुंची *काल* अपने दूतों सहित उसके समीप आकर बोला- “मित्र अब समय पूरा हुआ मेरे साथ चलिए मैं सत्यता और दृढ़तापूर्वक अपने स्वामी की आज्ञा का पालन करते हुए एक क्षण भी तुम्हें और यहां नहीं छोड़ूंगा।

”उस व्यक्ति के माथे पर बल पड़ गए, भृकुटी तन गयी और कहने लगा- “धिक्कार है तुम्हारे जैसे मित्रों पर! मेरे साथ विश्वासघात करते हुए तुम्हें लज्जा नहीं आती”?“तुमने मुझे वचन दिया था कि आने से पहले पत्र लिखूंगा। परंतु तुम तो बिना किसी सूचना के अचानक दूतों सहित मेरे ऊपर चढ़ आए. मित्रता तो दूर रही तुमने अपने वचनों को भी नहीं निभाया।काल हंसा और बोला- “मित्र इतना झूठ तो न बोलो।

मैंने आपको एक नहीं चार पत्र भेजे आपने एक भी उत्तर नहीं दिया।उस व्यक्ति ने चौंककर पूछा– “कौन से पत्र? कोई प्रमाण है? मुझे पत्र प्राप्त होने की कोई डाक रसीद आपके पास है तो दिखाओ।”काल ने कहा– मित्र, घबराओ नहीं, मेरे चारों पत्र इस समय आपके पास मौजूद हैं।मेरा पहला पत्र आपके सिर पर चढ़कर बोला, आपके काले सुन्दर बाल, उन्हें सफ़ेद कर दिया और यह भी कहा कि सावधान हो जाओ, जो करना है कर डालो।

बनावटी रंग लगा कर आपने अपने बालों को फिर से काला कर लिया और पुनः जवान बनने के सपनों में खो गए आज तक मेरे श्वेत अक्षर आपके सिर पर लिखे हुए हैं।कुछ दिन बाद मैंने दूसरा पत्र आपके नेत्रों के प्रति भेजा. नेत्रों की ज्योति मंद होने लगी। फिर भी आंखों पर मोटे शीशे चढ़ा कर आप जगत को देखने का प्रयत्न करने लगे, दो मिनट भी संसार की ओर से आंखे बंद करके, ज्योतिस्वरूप प्रभु का ध्यान मन में नहीं किया।

इतने पर भी सावधान नहीं हुए तो मुझे आपकी दीनदशा पर बहुत तरस आया और मित्रता के नाते मैंने तीसरा पत्र भी भेजा।इस पत्र ने आपके दांतो को छुआ, हिलाया और तोड़ दिया। आपने इस पत्र का भी जवाब न दिया बल्कि नकली दांत लगवाये और जबरदस्ती संसार के भौतिक पदार्थों का स्वाद लेने लगे।मुझे बहुत दुःख हुआ कि मैं सदा इसके भले की सोचता हूँ और यह हर बार एक नया, बनावटी रास्ता अपनाने को तैयार रहता है।

अपने अन्तिम पत्र के रूप में मैंने रोग- क्लेश तथा पीड़ाओं को भेजा परन्तु आपने अहंकार वश सब अनसुना कर दिया।वह व्यक्ति काल के भेजे हुए इन पत्रों को सुन कर फूट-फूट कर रोने लगा और अपने विपरीत कर्मों पर पश्चाताप करने लगा। उसने स्वीकार किया कि मैंने गफलत में शुभ चेतावनी भरे इन पत्रों को नहीं पढ़ा।मैं सदा यही सोचता रहा कि कल से भगवान का भजन करूंगा, अपनी कमाई अच्छे शुभ कार्यो में लगाऊंगा, पर वह कल ही नहीं आया।

काल ने कहा– “आज तक तुमने जो कुछ भी किया, राग-रंग, स्वार्थ और भोगों के लिए जान-बूझकर ईश्वरीय नियमों को तोड़कर तुमने कर्म किये”।उस व्यक्ति को जब कोई मार्ग दिखाई नहीं दिया तो उसने काल को करोड़ों की सम्पत्ति का लोभ दिखाया। काल ने हंसकर कहा- “मित्र यह मेरे लिए धूल से अधिक कुछ भी नहीं है।

धन-दौलत, शोहरत, सत्ता ये सब लोभ संसारी लोगों को वश में कर सकता है मुझे नहीं”।काल ने उत्तर दिया- यदि तुम मुझे लुभाना ही चाहते थे तो सच्चाई और शुभ कर्मों का धन संग्रह करते यह ऐसा धन है जिसके आगे मैं विवश हो सकता था, अपने निर्णय पर पुनर्विचार को बाध्य हो सकता था पर तुम्हारे पास तो यह धन धेले भर का भी नहीं है।

तुम्हारे ये सारे रूपए-पैसे, जमीन-जायदाद, तिजोरी में जमा धन-संपत्ति सब यहीं छूट जाएगा, मेरे साथ तुम भी उसी प्रकार निर्वस्त्र जाओगे जैसे कोई भिखारी की आत्मा जाती है।काल ने जब मनुष्य की एक भी बात नहीं सुनी तो वह हाय-हाय करके रोने लगा।सभी सम्बन्धियों को पुकारा परन्तु काल ने उसके प्राण पकड़ लिए और चल पड़ा अपने गन्तव्य की ओर।

शिक्षा:-एक ही सत्य है, जो अटल है वह है कि हम एक दिन मरेेंगे जरूर, हम जीवन में कितनी दौलत जमा करेंगे, कितनी शोहरत पाएंगे, कैसी संतान होगी यह सब अनिश्चित होता है, समय के गर्भ में छुपा होता है. परंतु हम मरेंगे एक दिन बस यही एक ही बात जन्म के साथ ही तय हो जाती है।

समय के साथ उम्र की निशानियों को देख कर तो कम से कम हमें प्रभु परमेश्वर की याद में रहने का अभ्यास करना चाहिए। इसमें तो हर एक को चाहे छोटा हो या बड़ा सब को प्रभु परमेश्वर की याद में रहकर ही कर्म करने चाहियें।

सुंदरता | हिन्दी Prerak Prasang 2023

एक कौआ सोचने लगा कि पंछियों में मैं सबसे ज्यादा कुरूप हूँ। न तो मेरी आवाज ही अच्छी है, न ही मेरे पंख सुंदर हैं। मैं काला-कलूटा हूँ। ऐसा सोचने से उसके अंदर हीनभावना भरने लगी और वह दुखी रहने लगा। एक दिन एक बगुले ने उसे उदास देखा तो उसकी उदासी का कारण पूछा। कौवे ने कहा – तुम कितने सुंदर हो, गोरे-चिट्टे हो, मैं तो बिल्कुल स्याह वर्ण का हूँ। मेरा तो जीना ही बेकार है।

बगुला बोला – दोस्त मैं कहाँ सुंदर हूँ। मैं जब तोते को देखता हूँ, तो यही सोचता हूँ कि मेरे पास हरे पंख और लाल चोंच क्यों नहीं है। अब कौए में सुन्दरता को जानने की उत्सुकता बढ़ी। वह तोते के पास गया। बोला – तुम इतने सुन्दर हो, तुम तो बहुत खुश होते होगे ? तोता बोला- खुश तो था लेकिन जब मैंने मोर को देखा, तब से बहुत दुखी हूँ, क्योंकि वह बहुत सुन्दर होता है।

कौआ मोर को ढूंढने लगा, लेकिन जंगल में कहीं मोर नहीं मिला। जंगल के पक्षियों ने बताया कि सारे मोर चिड़ियाघर वाले पकड़ कर ले गये हैं। कौआ चिड़ियाघर गया, वहाँ एक पिंजरे में बंद मोर से जब उसकी सुंदरता की बात की, तो मोर रोने लगा।

और बोला – शुक्र मनाओ कि तुम सुंदर नहीं हो, तभी आजादी से घूम रहे हो वरना मेरी तरह किसी पिंजरे में बंद होते।

शिक्षा:-दूसरों से तूलना करके दुःखी होना बुद्धिमानी नहीं है। असली सुन्दरता हमारे अच्छे कार्यों से आती है।

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