आप सभी भी पसंद की कहानी के बारे में तो सुना होगा ये वही कहानियां है जिनके बारे में हमने बचपन से सुना है पंचतंत्र की कहानियां हमने सुनी है क्या कभी सोचा है इनका कहानियों के पीछे क्या राज है। आजnहम जानने वाले हैं कि पंचतंत्र की कहानियां का जन्म कैसे हुआ ।
एक समय था जब रामराज नाम का एक नगर हुआ करता था उस नगर का राजा जिसका नाम हरिशंकर था बहुत महान था। लेकिन उनके तीन पुत्र थे जिनका नाम बाहबुज, अग्रबुज, आम्रबुज था राजा उनसे बहुत परेशान था क्योंकि वह बहुत मुर्ख थे। एक दिन राजा ने परेशांन होकर और उन्हें पढाई लिखाई से विमुख देख एक सभा बुलाई और अपने मंत्रियों से कहा-
सजाने राजा ने अपने दरबार में सभी मंत्रियों से कहा कि क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे मेरे तीनों पुत्र बुद्धिमान बन जाए और आने वाले समय में मेरे उत्तराधिकारी बन सके क्योंकि वह तीनों ही मूर्ख हैं क्या इस पूरे सभा में कोई बता सकता है कि मेरे तीनों पुत्रों को कम से कम समय में बुद्धिमान कैसे बनाएं
सभा में से सभा में से एक मंत्री ने कहा महाराज आपके तीनों पुत्रों को अस्त्र और शस्त्र का ज्ञान होने में ज्ञान होने में कम से कम 15 साल का समय दो लकी जाएगा तब राजा ने कहा कि क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है कि जो कम समय में ही मेरे तीनों पुत्रों को बुद्धिमान बना सके। तब मंत्रिमंडल में से एक मंत्री ने कहा कि कोई ऐसा ग्रंथ बनाया जाए जो कम समय में किसी भी इंसान को बुद्धिमान बना सके तब राजा ने कहा क्या ऐसा संभव है उस उस समय समय मंत्री के पास कोई जवाब नहीं था राधा की सभा में से एक बुद्धिमान मंत्री ने कहा की राधा कृष्ण एक ऐसे पंडित है जो कम समय में आपकी तीनों पुत्रों को बुद्धिमान बना सकते हैं तभी राजा ने कहा पंडित को बुलाया जाए इसके अगले दिन पंडित जी को सभा में बुलाया गया और राजा ने पंडित जी से कहा आप कितने समय में मेरे तीनों पुत्रों को बुद्धिमान बना दोगे तब पंडित जी ने कहा मैं आपके तीनों पुत्रों को 6 महीनों में बुद्धिमान बना दूंगा राजा खुश हुए और कहा अगर आप 6 महीनों में मेरे तीनों पुत्रों को बुद्धिमान बना दोगे तो मैं आपको उपहार स्वरूप 51 गांव आपको दे दूंगा। पंडित जी ने कहा तब पंडित जी ने कहा मुझे कुछ नहीं चाहिए अगर मैं आपके तीनों पुत्रों को बुद्धिमान बना दू तो आप मेरा नाम बदल देना।
तब पंडित जी ने शास्त्रों के अध्ययन को पांच भागों में विभाजित कर दिया जिन्हें पंचतंत्र का नाम दिया गया और यही सही पंचतंत्र का जन्म हुआ
ये पांच भाग हैं –
मित्रभेद (मित्रों में मनमुटाव एवं अलगाव )
मित्रसम्प्राप्ति (मित्र प्राप्ति एवं उसके लाभ)
काकुलुकीय (कौवे एवं उल्लुओं की कथा)
ळब्दप्रनाश (मृत्यु या विनाश के आने पर)
अपरीक्षितकारक (हड़बड़ी में क़दम न उठायें)
पंडित जी ने पंडित जी ने सभी शास्त्रों के ज्ञान को कहानियों में विभाजित कर दिया जिससे एक सामान्य मनुष्य कहानियों के माध्यम से बुद्धिमान बन सकता है।